नई दिल्ली: सोने की तस्करी करने वालों की धरपकड़ करने के लिये भारत की सीमा शुल्क वसूलने वाली कस्टम संस्थाएँ अक्सर चप्पे-चप्पे की पड़ताल करती हैं। यहाँ तक की अपनी पड़ताल में ये संस्थाएँ लोगों के शरीर के विभिन्न भागों की भी छानबीन करने से नहीं चूकती हैं। लेकिन संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई) के साथ खराब ढंग से किये गये एक व्यापारिक समझौते के कारण सोने के आयातकों ने टनों की मात्रा में सोने को प्लैटिनम बताकर कानूनी रूप से कस्टम संस्थाओं के नाक के नीचे से इसे इस पार से उस पार लगा दिया।
यू.ए.ई. के साथ हुये व्यापारिक समझौते की एक ख़ामी का दुरुपयोग करते हुये सोने के आयातक इस हेराफेरी को अंजाम दे पाये। इस ख़ामी की बदौलत आयातकों ने सोने के आयात पर अदा किये जाने वाले भारी आयात शुल्क और निजी आयातकों द्वारा सोने का आयात करने पर लगे प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए सोने का प्लैटिनम आधारित मिश्र धातु (प्लैटिनम एलॉय) के एक भाग के रूप में सस्ते दामों पर आयात कर लिया।
सार्वजनिक क्षेत्र में मौजूद डेटा और सरकार के आंतरिक दस्तावेज़ों के आधार पर द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने अनुमान लगाया है कि यू.ए.ई. के साथ हुए व्यापारिक समझौते में मौजूद खोट की वजह से वर्ष 2022 से अब तक 1,700 करोड़ रुपये के राजस्व का भीषण नुकसान हो चुका है जिससे कस्टम अधिकारी बेहद गुस्से में हैं।
मौजूद डाटा के अनुसार मई 2022 में यू.ए.ई. के साथ हुआ कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट लागू होने के बाद से अब तक करीब 24,000 करोड़ रुपये के प्लैटिनम एलॉय का आयात किया जा चुका है। आयकर विभाग के अंदरूनी दस्तावेज़ों के अनुमान के मुताबिक इस आयातित प्लैटिनम एलॉय में वास्तव में 90% से ज़्यादा मात्रा सोने की है।
आयातकों के लिये प्लैटिनम एलॉय के नाम पर सोने का आयात करना इसलिये संभव हो पाया क्योंकि उपरोक्त लिखित व्यापार समझौते के प्लैटिनम संबंधी नियम को तब बनाया गया था जब प्लैटिनम धातु सोने से कही ज़्यादा महँगी थी। इस नियम के अनुसार 2% या फिर इससे ज़्यादा प्लैटिनम की मौजूदगी वाली किसी भी मिश्रित धातु को प्लैटिनम एलॉय के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
व्यापार समझौते की नियमावली में इस खोट के कारण प्लैटिनम एलॉय के आयात का रास्ता खुल गया और अब आयातक सोने की अपेक्षा प्लैटिनम एलॉय पर कम आयात शुल्क अदा करके सोने को प्लेटिनम बताते हुए टनों की मात्रा में इसका आयात कर सकते थे। वर्तमान वित्तीय वर्ष में जुलाई, 2024, तक प्लैटिनम एलॉय पर 8.15% का आयात शुल्क लगाया जाता था वहीं सोने के आयात पर कुल जमा 18.45% का शुल्क लगता था।
अपने भीतरी दस्तावेज़ों में अधिकारियों ने माना था कि व्यापार समझौते के इस दुरुपयोग हो सकने वाले रास्ते का सोने के आयातक लगातार फायदा उठा रहे है लेकिन इस विषय पर अधिकारी कुछ कर नहीं पाये क्योंकि इस व्यापारिक समझौते को आख़िरकार प्रधानमंत्री मोदी की नुमाइंदगी तले चलने वाली केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी।
कस्टम अधिकारियों ने कहा कि ''प्लैटिनम एलॉय के आयात में आई तेजी सोने को प्लैटिनम में छुपाकर आयात करने की ओर संकेत करती है...ये होशियारी... सोने के इम्पोर्ट पर लगे प्रतिबंधों से बचाव करती है और इम्पोर्ट ड्यूटी में मौजूद भारी अंतर (प्लैटिनम और सोने के बीच) की वजह से (आयातकों को) मुनाफा पहुँचाती है''।
यू.ए.ई. के साथ व्यापारिक समझौता होने के तुरंत बाद सोने के इम्पोर्ट में कुछ समय के लिये आई कमी के साथ ही प्लैटिनम के इम्पोर्ट का बढ़ जाना इस बात को दर्शाता है कि सोना इम्पोर्ट करने वाले निजी इम्पोर्टर समझौते की ख़ामी का लाभ उठाने के लिये तैयार बैठे थे। आधिकारिक जाँच ये दिखाती है कि वर्तमान में जो अधिकाँश इम्पोर्टर प्लैटिनम एलॉय का आयात कर रहे हैं वो पहले सिर्फ़ सोने का इम्पोर्ट किया करते थे। इस बात से इस आशंका को और बल मिलता है कि सोने को प्लेटिनम एलॉय बताकर इसका इम्पोर्ट किया जा रहा है।
जहाँ एक ओर सरकार का कहना है कि उसने कुछ दिन पहले ही व्यापारिक समझौते की समीक्षा करने के लिये यू.ऐ.ई. को आगाह कर दिया है वहीं दूसरी ओर जुलाई 2024 के बजट भाषण में इस व्यापारिक समझौते की उपरोक्त लिखित ख़ामी को कुछ हद तक दुरूस्त करने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय ने सोने के आयात पर लगाई जाने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को कम करने की घोषणा भी की थी, लेकिन बजट भाषण से पहले के सिर्फ़ दो महीनों में 10,000 करोड़ रुपये के प्लैटिनम एलॉय को इम्पोर्ट किया जा चुका था। जुलाई 2024 में ही सरकार ने प्लैटिनम एलॉय का यू.ए.ई. से आयात करने पर लगने वाले टैक्स को भी बढ़ाया था।
हालाँकि इस पूरी समस्या से निज़ात के लिये सरकार की तरफ़ से उठाये गए कदम सिर्फ़ फौरी तौर पर राहत देने वाले है क्योंकि व्यापार समझौते की मौजूदा शर्तों के अनुसार प्लैटिनम एलॉय का आयात शुल्क वर्ष 2026 तक जीरो पर पहुँच जायेगा जिससे व्यापारी सोने और प्लैटिनम एलॉय के आयात शुल्कों के बीच के अंतर का लगातार लाभ उठा सकेंगे और सरकार के राजस्व में लगातार सेंध लगती रहेगी।
हालाँकि विशेषज्ञों ने पहले भी इस बात की चेतावनी दी थी कि वर्ष 2022 में सरकार के द्वारा किये गये व्यापारिक समझौते की ख़ामी का दुरुपयोग हो सकता है लेकिन यहाँ पर सरकार के भीतरी दस्तावेज़ों और मूल्यांकनों के माध्यम से हम पहली बार दिखा रहे हैं कि उपरोक्त लिखित ख़ामी का सोने का आयात करने के लिए भीषण दुरुपयोग किया गया और सरकार को इसकी जानकारी थी।
इस विषय में द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने विदेश व्यापार महानिदेशालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को विस्तृत सवाल भेजे थे लेकिन हमें कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ।
सोने की प्रचुरता
आदि काल से ही भारतीयों को सोने से बेहद लगाव रहा है। आभूषणों में प्रयोग होने वाली धातु से ज़्यादा सोने को अस्थिरता के दौर में विश्वसनीय सुरक्षा कवच, जैसे अनिश्चित समय में बचाव के लिये किये गये निवेश, या लाखों हिंदुओं के द्वारा पवित्र प्रतीक के रूप में देखा जाता है। भारतीयों के सोने के प्रति इस लगाव के कारण, दुनिया का दूसरे सबसे बड़े नंबर का ग्राहक होने के साथ-साथ भारत की गिनती सोने के टॉप पाँच इम्पोर्टर्स में की जाती है।
लेकिन भारत में बहुत कम सोने का उत्पादन होता है। भारत में प्रयोग होने वाले अधिकाँश सोने का विदेशी मुद्रा देकर अंतरराष्ट्रीय प्रदाताओं से आयात किया जाता है। सिर्फ़ कुछ लाइसेंसधारी बैंकों और एजेंसियों को सोने का आयात करके इसे स्थानीय सोनारों को बेचने की अनुमति है। लाइसेंसधारी इम्पोर्टर्स सोने के आयात के लिये भारतीय रुपये को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के विदेशी मुद्रा कोष की मदद से विदेशी करेंसी में बदलते हैं और इससे अंतरराष्ट्रीय प्रदाताओं को भुगतान करते हैं। जब भी सोने के आयात की दर बढ़ती है विदेशी मुद्रा विनिमय के ऊपर दबाव बढ़ जाता है। इसलिये सोने के आयात को हतोत्साहित करने के लिये सरकार अक्सर सोने के आयात पर लगाई जाने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को बढ़ा देती है।
आख़िरी बार सोने के आयात पर लगाई जाने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को वर्ष 2022 में बढ़ाकर लगभग 15% कर दिया गया था। इस 15% पर 3% अतिरिक्त GST लगने के बाद सोने पर लगने वाला कुल जमा इम्पोर्ट टैक्स 18% गया था।
वर्ष 2022 में एक ओर तो सरकार ने सोने के आयात को हतोत्साहित करने के लिये इस पर लगने वाले टैक्स को तो बढ़ा दिया लेकिन दूसरी ओर सरकार 10,000 वस्तुओं और सेवाओं के लिये भारत और यू.ऐ.ई. के बीच किये गये व्यापारिक समझौते की उस ख़ामी को नहीं देख पाई जिसका लाभ उठाकर सोने के आयातक सोने के आयात करने पर अदा की जाने वाली बढ़ी हुई इम्पोर्ट ड्यूटी को देने से बचते रहे।
मुक्त व्यापार के लिये दिखाई गई मुस्तैदी
मोदी सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में विभिन्न देशों और व्यापारिक गुटों के साथ व्यापारिक समझौतों को बहुत तेजी के साथ निपटाया गया। अपने महत्वाकांक्षी व्यापारिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिये वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय एक के बाद एक बहुत से समझौतों के ऊपर मुहर लगाने की ज़ल्दबाजी में था। इसमें से कुछ समझौते वो भी थे जो पिछली सरकारों के समय से विभिन्न असहमतियों के कारण वर्षों से लंबित पड़े थे। इसी संदर्भ में यू.ए.ई. के साथ हुये व्यापारिक सौदे के लिए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में अधिकाँश बातचीत की गई और 88 दिनों की 'रिकॉर्ड अवधि' में इस समझौते को अंतिम रूप दे दिया गया।
इस समझौते के अनुसार मूल रूप से भारत या यू.ए.ई. के द्वारा उत्पादित की जाने वाली या इन दोनों देशों में से किसी एक देश के द्वारा दूसरे देश को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर टैक्स को कम या ख़त्म करने के ऊपर पारस्परिक सहमति जताई गई थी। इन वस्तुओं में एक वस्तु प्लैटिनम आधारित मिश्र धातु (प्लैटिनम एलॉय) भी थी।
इस समझौते के तहत अमीरात से भारत में इम्पोर्ट किये जाने वाले प्लैटिनम एलॉय पर वसूले जाने वाले आयात शुल्क को प्रारम्भ में घटाकर 12.5% कर दिया गया था। वर्ष 2022 में ये शुल्क सोने के आयात पर लगाये जाने वाले शुल्क से 6% कम था। समझौते के अनुसार बरस-दर-बरस प्लैटिनम एलॉय के आयात शुल्क को और भी घटाये जाने के साथ-साथ वर्ष 2026 तक इसे पूरी तरीके से ख़त्म कर दिये जाने की योजना है। जुलाई, 2024, में प्लैटिनम एलॉय का अमीरात से आयात करने पर 8.15% का आयात शुल्क लगता था जो कि इसका किसी अन्य स्थान से आयात किये जाने पर लगने वाले आयात शुल्क से 10% कम था।
ऐसा कैसे हुआ?
''प्लैटिनम एलॉय'' एक ऐसा जादुई शब्द था जिसने इम्पोर्टरों के लिये सोने के ऊपर लगने वाले आयात शुल्क को चुकाये बिना टनों की मात्रा में इसका भारत में आयात करने के रास्ते खोल दिये।
दो धातुओं को आपस में या किसी धातु को किसी अधात्विक चीज़ के साथ मिलाकर बनाई गई धातु को एलॉय या मिश्र धातु कहा जाता है। तो सैद्धान्तिक तौर पर कोई धातु जिसका 80% वजन प्लैटिनम का हो और बाकी ताँबे का तो इस धातु को एलॉय कहा जा सकता है। लेकिन यू.ए.ई. के साथ किया गया समझौता एलॉय की इस सैद्वान्तिक परिभाषा को एक अलग ही स्तर पर ले गया जिसके अनुसार यदि अब किसी धातु के कुल वजन में मात्र 2% वजन प्लैटिनम धातु का है तो उसे प्लैटिनम एलॉय कहा जा सकता था।
प्लैटिनम एलॉय की इस परिभाषा को वर्ष 2007 में उस समय निर्धारित किया गया था जब प्लैटिनम की कीमत सोने से 50% ज़्यादा थी। हालाँकि वर्ष 2022 में जब तक मोदी सरकार संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) के साथ व्यापारिक सौदा करने के लिये हड़बड़ाहट में आगे आई तब तक प्लैटिनम के दाम सोने के आधे रह गये थे और प्लैटिनम की डिमांड भी कम हो गई थी।
ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के किसी भी व्यक्ति ने यू.ए.ई. के साथ हुए व्यापारिक सौदे में मौजूद उस ख़ामी को नहीं देखा जिसका प्रयोग करके सोने के आयातक अपने यू.ए.ई. में बैठे साथियों की मदद से 98% सोना और 2% प्लैटिनम से बनी मिश्र धातु को ''प्लैटिनम एलॉय'' बताते हुए सोने के इम्पोर्ट पर लगे प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिये तैयार बैठे थे।
शुद्ध सोने के आयात के लिए सरकारी संस्थाओं की इजाज़त लेने की रवायत के विपरीत कोई भी व्यक्ति आर.बी.आई. या विदेशी व्यापार महानिदेशालय की पूर्व अनुमति के बिना प्लैटिनम एलॉय का भारत में आयात कर सकता है। और अब इस प्रकार के आयात को भारी छूट पर किया जा सकता है क्योंकि यू.ए.ई. के साथ हुए व्यापारिक समझौते के आधार पर वर्ष 2024 में सोने के आयात पर वसूले जाने वाले 18.45% के आयात शुल्क की तुलना में प्लैटिनम एलॉय पर दस प्रतिशत कम, अर्थात 8.15%, का आयात शुल्क वसूला जा रहा है।
प्लैटिनम एलॉय और सोने के आयात शुल्कों के बीच दस प्रतिशत का अंतर बहुत कम प्रतीत हो सकता है लेकिन चूँकि सोना बहुत ऊँचे दाम वाली धातु है ये दस प्रतिशत का अंतर उन निजी आयातकों के लिये बहुत बड़ा उपहार था जिन पर सोने का आयात करने को लेकर प्रतिबंध हैं (सरकार के द्वारा अधिसूचित कुछ उन चुनिंदा व्यापारियों को छोड़कर जो वर्ष 2022 के बाद इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज के माध्यम से गुजरात में सोने का आयात कर सकते हैं)।
आश्चर्य की बात ये है कि भारत और यू.ए.ई. के बीच हुए व्यापारिक समझौते के लागू होते ही इस समझौते में मौजूद ख़ामी का लाभ उठाने के लिये सोने के निजी व्यापारी तैयार बैठे थे।
इस समझौते के लागू होने के बाद 27 महीनों में भारत में 24,000 करोड़ रुपये के प्लैटिनम एलॉय का आयात किया गया। इतनी ज़्यादा मात्रा में प्लैटिनम एलॉय का भारत में आयात किया जाना बेहद अभूतपूर्व था क्योंकि यू.ए.ई. के साथ समझौता होने के पहले के आठ महीनों में मात्र 6.3 करोड़ रुपये के प्लैटिनम एलॉय का भारत में आयात किया गया था।
मौजूद रिकॉर्ड ये दर्शाते हैं कि कस्टम अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि भारत-यू.ए.ई.समझौते में मौजूद ख़ामी के सहारे पीछे का दरवाजा इस्तेमाल करके व्यापारियों ने कम आयात शुल्क पर सोने का भारत में आयात किया हैं।
आंतरिक तौर पर अधिकारियों ने कहा कि, ''सोने को प्लैटिनम और दूसरी चीज़ों के साथ मिलाकर प्लैटिनम एलॉय की चादरों को बनाया जा रहा है, इन चादरों में 90% से भी ज़्यादा मात्रा सोने की होती है जिसको बाद में चादर से अलग कर लिया जा रहा है''।
इस आधार पर द कलेक्टिव के अनुमान के अनुसार व्यापारिक समझौते में मौजूदा खोट के रास्ते 21,000 करोड़ रुपये के सोने का आयात किया गया।
प्लैटिनम एलॉय के रूप में सोने का आयात करके आयातकों ने कितने रुपये की इंपोर्ट ड्यूटी का चूना लगाया, इसका अनुमान लगाने के लिये, रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने सरकारी और अन्य दस्तावेज़ों की छानबीन करके यू.ए.ई. के साथ मई, 2022, में हुए समझौते के बाद यू.ए.ई. से भारत में हुये प्लैटिनम एलॉय के आयात में आये उछाल की गणना की।चूँकि कस्टम संस्थाओं के मूल्याँकन के अनुसार औसत तौर पर एलॉय में 90% मात्रा सोने की होती है रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने कस्टम संस्थाओं के द्वारा बताये गये प्लैटिनम एलॉय और सोने के आयात शुल्कों के अंतर को आधार बनाकर पाया कि आयातकों ने मई 2022 से 1,700 करोड़ रुपये का टैक्स नहीं चुकाया है।
कस्टम अधिकारियों का कहना है कि आयातक लगातार व्यापारिक समझौते की ख़ामी का दुरुपयोग कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार वर्तमान वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों में यू.ए.ई. से 1,500 करोड़ रुपये के प्लैटिनम एलॉय का आयात किया गया था। अपनी बात को ख़त्म करते हुए अधिकारियों ने कहा कि सिर्फ़ छुपे तौर पर सोने का आयात करने के लिये ये आयातक प्लैटिनम के कारोबार में बने हुए हैं।
पर्दानशीन डेटा और निजी खिलाड़ी
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने निर्यात- आयात की गतिविधियों पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों से तीन सालों, सितंबर 2021 से सितंबर 2024, के बीच प्लैटिनम एलॉय के आयात की समीक्षा करने का अनुरोध किया। इन विशेषज्ञों ने इस पूरे मसले की समीक्षा करके हमें बताया कि: प्लैटिनम का आयात करने वाले दस सबसे बड़े आयातक सोने के निजी व्यापारी हैं जो पहले प्लैटिनम का आयात नहीं किया करते थे। प्लैटिनम एलॉय के ये दस बड़े आयातक पहले भी सोने के कारोबार में थे और आज कल भी ये सोने के व्यापार में ही हैं।
चूँकि विभिन्न वस्तुओं का आयात या निर्यात करने वाले व्यक्तियों के नाम या फ़िर आयात और निर्यात की गई वस्तुओं के दाम या मात्रा के ब्योरे को प्रकाशित करने को सरकार ने एक आपराधिक कृत्य घोषित कर रखा है रिपोर्टर्स कलेक्टिव उपरोक्त लिखित प्लैटिनम के दस सबसे बड़े आयातकों के नाम को यहाँ नहीं बता सकता है। लेकिन जब भी व्यापारिक सौदों का ब्योरा सार्वजनिक क्षेत्र में आ जाता है और ख़ासतौर पर जब ये ब्योरा कचहरी में सबूत के रूप पर पेश कर दिया जाता है तब पत्रकार कानूनी तौर पर इस ब्योरे पर रिपोर्ट प्रकाशित कर सकते हैं।
हमारे पास उन दो कंपनियों का ब्योरा मौजूद है जो मुक़दमेबाजी में फंसी हुई हैं।
इन दो रसूखदार कंपनियों, एमडी ओवरसीज और ऑसिल कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, के द्वारा यू.ए.ई. से आयातित की गई प्लैटिनम एलॉय को जब्त करते हुये कस्टम संस्थाओं ने इन कंपनियों को कस्टम कानून और नियमावली को तोड़ने के जुर्म में आरोपी बनाया था। ये दोनों कंपनिया सबसे बड़े प्लैटिनम एलॉय के आयातकों में शामिल हैं।
लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इन दोनों कंपनियों को ये कहते हुये जाने दिया कि अगर इन कंपनियों के द्वारा आयातित प्लैटिनम एलॉय में सोना अधिक मात्रा में मौजूद है तो भी भारत सरकार और यू.ए.ई. के बीच हुए व्यापारिक समझौते के आधार पर यह कानूनी तौर पर पूर्णतः वैध है।
कोर्ट ने कहा था कि सोने को प्लैटिनम बताकर आयात करने का क्रम सिर्फ़ व्यापारिक नीतियों में बदलाव करने से ही टूट सकता है।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ''(सोने के आयात शुल्क को चुकाने पर) व्यक्त की गई आशंकायें या फ़िर संदेह, वस्तुओं का आयात करने की प्रणाली की समीक्षा करने की ज़रूरत की ओर इशारा करते हैं। व्यापारिक समझौते में परिवर्तन या आयात की जाने वाली योग्य वस्तुओं की लिस्ट में सुधार वो मुख्य मुद्दे हैं जिन पर नीतिगत फैसले लिये जाने की आवश्यकता है''।
दिल्ली स्थित एमडी ओवरसीज का वित्तीय ब्योरा दिखाता है कि जिन सालों में इस कंपनी ने यू.ए.ई. से प्लैटिनम एलॉय का आयात किया उन वर्षों में सें वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस कंपनी की आय पिछले वर्ष की तुलना में 74% बढ़ गई।
यू.ए.ई. के साथ व्यापारिक समझौता होने के एक वर्ष के बाद, वर्ष 2023-24, में एमडी ओवरसीज ने सोने को बेचकर 17,000 करोड़ रुपये की कमाई की थी जो इसकी पिछली वित्तीय वर्ष की आय से लगभग दोगुनी थी। आश्चर्यजनक बात ये है कि एमडी ओवरसीज की वित्तीय वर्ष 2023-24 में सोने से इतनी गाढ़ी कमाई होने के बावजूद इस कंपनी ने इस वित्तीय वर्ष में मात्र 63.9 करोड़ रुपये के सोने को खरीदने की घोषणा की थी। ध्यान देने वाली एक बात ये भी है कि वित्त वर्ष 2022-23 में इस कंपनी ने सोने की खरीद पर 1,105 करोड़ रुपये खर्चा किये थे जो 2023-24 में इसी मद में खर्च किये गये पैसे से लगभग 1,000 करोड़ रुपये ज़्यादा था। यहाँ पर कलेक्टिव इस बात की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सकता है कि वर्ष 2023-24 में एमडी ओवरसीज द्वारा बेचा गया सोना प्लैटिनम मिश्रित सोने से लिया गया था कि नहीं।
इसी समयावधि के दौरान इस कंपनी ने प्लैटिनम की बिक्री से 9.2 करोड़ रुपये कमाये थे। ये दो वित्तीय वर्ष वे वर्ष थे जब एमडी ओवरसीज पहली बार प्लैटिनम की बिक्री कर रही थी और इसी समय यू.ए.ई. के साथ किये गये मुक्त बाजार समझौते को लागू किया गया था।
एमडी ओवरसीज की ही तरह प्लैटिनम का आयात करने वाली एक दूसरी गुजरात स्थित रसूखदार कंपनी, ऑसिल कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, भी आयातित प्लैटिनम एलॉय को जब्त करने वाली कस्टम संस्थाओं के खिलाफ कोर्ट में याचिकाकर्ता थी।
जब ऑसिल ने भारत-यू.ए.ई. व्यापार समझौते के अंतर्गत प्लैटिम एलॉय को आयात करना शुरू किया तो वर्ष 2022-23 में (पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में) इसकी आय में 10,094.9% की भारी बढ़त मिली थी।
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने इन कंपनियों को अपने सवाल भेजे थे लेकिन हमें कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ।
हाँलाकि विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चेताया था कि यू.ए.ई. के साथ हुए व्यापारिक समझौते से टैक्स चुकाने की प्रक्रिया में घपला होने की संभावना है लेकिन भारतीय राजकोष में सेंध लगाने वाले व्यापार के इस संधिग्ध रास्ते के विषय में कोई विवरण उपलब्ध नहीं है।
सरकार आयात या निर्यात की जाने वाली कुल जमा वस्तुओं का विवरण तो प्रकाशित करती है लेकिन सरकार इस पूरे विषय की महीन जानकारी को साझा नहीं करती है। विभिन्न वस्तुओं का आयात व निर्यात करने वालों के नाम और इन वस्तुओं के दामों या मात्रा से संबंधित महीन जानकारी को अप्रैल 2022 में सरकार ने पत्रकारों के साथ-साथ किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा प्रकाशित किये जाने को एक आपराधिक कृत्य घोषित कर दिया था। सरकार ने इस प्रकार के प्रकाशन पर प्रतिबंध क्यों लगाया इसका सरकार की तरफ़ से कोई कारण नहीं बताया गया था।
व्यापार के महीन विवरण के प्रकाशन पर ये प्रतिबंध यू.ए.ई के साथ हुए समझौते के अंतर्गत यू.ए.ई. से व्यापार शुरू होने के ठीक एक महीने पहले लगाया गया था।
वर्तमान में जहाँ निजी व्यापारी बाजार में इस प्रकार के महीन वाणिज्यिक विवरण की डेटा जमा करने वालों से खरीद-फरोख़्त करते रहते हैं वहीं पत्रकारों द्वारा इस प्रकार के विवरण को प्रकाशित करना गैरकानूनी है। इसलिये प्लैटिनम में छुपाकर सोने का आयात करने वाली सभी बड़ी कंपनियों के नाम सार्वजनिक करने वाले विवरण को साझा करने को लेकर द कलेक्टिव अपनी अक्षमता व्यक्त करता है।
भारत-यू.ए.ई. व्यापार समझौता होने के बाद से व्यापार विशेषज्ञों ने और भी कई उन निजी सोना व्यापारियों के नाम उजागर किये है जिन्होंने सोने के आयात के लिये व्यापार संधि की ख़ामी का दुरुपयोग किया है, लेकिन उपरोक्त लिखित मौजूदा कानून के कारण इस डेटा को प्रकाशित करने को लेकर द रिपोर्टर्स कलेक्टिव के हाथ बंधे हुए है।
उत्पादन का स्थान
अधिकारियों के आकलन के मुताबिक यू.ए.ई.- भारत समझौते में प्लैटिनम एलॉय का जो पहलू दिखाई दे रहा है वो हो सकता है समस्या का सिर्फ़ एक पहलू हो। यू.ए.ई. में सोने की खदानें नहीं हैं लेकिन अफ्रीका में उत्पादित किये जाने वाले सोने का सबसे बड़ा गंतव्य यू.ए.ई है जहाँ से अफ्रीकी सोने का पूरी दुनिया में निर्यात किया जाता है।
यू.ए.ई.- भारत समझौता यू.ए.ई. में उत्पादित किये गये या फिर यू.ए.ई. में पर्याप्त मात्रा में संसाधित किये गये प्लैटिनम एलॉय पर कम आयात शुल्क देने की पेशकश करता है। यू.ए.ई.- भारत समझौते के तहत आयात शुल्क पर छूट पाने के लिये प्लैटिनम एलॉय को यू.ए.ई. में संसाधित करने की इस आवश्यकता को वैल्यू एडिशन कंडीशन कहते है। आभूषणों और जवाहरातों के साथ-साथ प्लैटिनम एलॉय के लिये इस वैल्यू को मात्र 3% रखा गया था। इसका अर्थ ये है कि अगर कोई आयातक यू.ए.ई. से इस बात का सर्टिफिकेट ले लें की प्लैटिनम एलॉय के रूप में आयातित प्लैटिनम मिश्रित सोने में कम से कम 3% वैल्यू यू.ए.ई. में जोड़ी गई है तो इस सर्टिफिकेट की आड़ में वो दुनिया के किसी अन्य हिस्से से भी सोने को भारत में मँगा सकता है।
कस्टम अधिकारियों ने पाया कि बहुत से आयातक सिर्फ़ उपरोक्त लिखित नियम को हथियार बना कर बच निकल रहे हैं।
सरकार का कहना है कि कुछ समय पहले ही उसने यू.ए.ई. से हुए व्यापारिक समझौते में प्लैटिनम की उत्पत्ति से संबंधित नियमों की शर्तों की समीक्षा करने का आवाहन किया है। और साथ में हालिया बजट में सरकार ने सोने के आयात पर लगने वाले शुल्क को घटाकर 6% कर दिया है।
लेकिन इस पूरी समस्या के निज़ात के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदम सिर्फ़ फौरी राहत दे सकते है। यू.ए.ई. के साथ किये गये समझौते के अनुसार वर्ष 2026 तक मात्र छींटा भर प्लैटिनम मिश्रित गोल्ड के आयात पर लगने वाला आयात शुल्क ज़ीरो हो जायेगा, जिससे भारत के द्वारा गोल्ड के आयात पर लगाये गए प्रतिबंधों को दरकिनार करने के साथ-साथ, निजी व्यापारी शुद्ध सोने का आयात करने वालों की अपेक्षा सोने का प्लैटिनम एलॉय के रूप में कम आयात शुल्क पर आयात करते रहेंगे।