नई दिल्ली: जब द कलेक्टिव की पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ कि न्यूज एजेंसी, ANI, यूट्यूबरों के चैनलों के ऊपर रिपोर्ट, अर्थात् स्ट्राइक, करते हुए इन यूट्यूबरों के पीछे पड़ी हुई थी, तब यूट्यूब अपनी इस बात पर कायम रहा कि वो कॉपीराइट उल्लंघन संबंधी विवादों में जज की भूमिका निभाए बिना, कंटेंट पर कॉपीराइट रखने वाले और इस कॉपीराइट का उल्लंघन करने वालों को खुद की आपसी बातचीत से विवाद का हल निकालने का मौका देता है।

लेकिन यूट्यूब की तरफ से कही गई ये बात, कि कॉपीराइट उल्लंघन के विवादों में वो जज की भूमिका नहीं निभाता है, हमें प्राप्त हुए एक नए साक्ष्य के विपरीत नजर आती है। कम से कम एक मामले में कॉपीराइट उल्लंघन की बात पर ANI की तरफ से कंटेंट को हटा लेने के नोटिस के खिलाफ, यूट्यूब ने ANI से इस मामले को फेयर यूज (निष्पक्ष प्रयोग) के दायरे के अंतर्गत परखने की बात कही थी। आपको बताते चले कि कॉपीराइट प्राप्त वस्तुओं का कानूनी दायरे में रहकर निष्पक्ष रूप से प्रयोग करना कानूनन मान्य है। उपरोक्त मामले में यूट्यूब द्वारा ANI की खिलाफत करने से ये प्रश्न खड़ा होता है कि, कॉपीराइट उल्लंघन के किस मामले में यूट्यूब को जज की भूमिका निभानी है और किस मामले में वादी और प्रतिवादी को खुद आपस में विवाद सुलझाने के लिए छोड़ देना है, इस बात का फैसला यूट्यूब आखिर कैसे करता है? 

यूट्यूब के नियमानुसार, 90 दिनों के भीतर किसी भी चैनल के ऊपर तीन कॉपीराइटों का उल्लंघन करने का आरोप लगने पर, सात दिनों में इस चैनल को प्रतिबंधित कर दिया जाता है। इन सात दिनों में ही क्रिएटर्स, ANI को मोटा पैसा देने के लिए मजबूर हो जाते हैं। द कलेक्टिव के खुलासे के बाद बहुत से प्रसिद्ध यूट्यूबरों ने जनता के बीच आकर ANI के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बिलकुल नए सिरे से किसी वस्तु को बनाते समय, भारत के कॉपीराइट संबंधी नियमों में फेयर-यूज सिद्धांत के तहत, कंटेंट क्रिएटर्स को कॉपीराइट प्राप्त तस्वीरों के छोटे से भाग को प्रयोग करने की इजाजत है। हालाँकि इस नियम के बावजूद भी, यूट्यूबरों ने कहा कि, ANI कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाकर उनके चैनलों पर स्ट्राइक कर रहा है जो ‘वसूली’ करने का काम है। 

ANI के ऊपर सार्वजनिक रूप से हल्ला बोलने वाले यूट्यूबरों में एक नाम मोहक मंगल का भी है। मोहक ने दावा किया कि ANI ने उनसे कहा था की या तो वो 48 लाख रुपए का भुगतान करें और या फिर वो अपने चैनल को बंद किए जाने के लिए तैयार रहें। दूसरे यूट्यूबरों ने भी दावा किया कि ANI ने मोहक की ही तरह उनसे भी पैसा देने या फिर उनके चैनल को बंद किए जाने के लिए तैयार रहने की बात कही थी। 

द कलेक्टिव की प्रारंभिक पड़ताल में ANI ने अपने द्वारा यूट्यूबरों से पैसा माँगे जाने का बचाव ये कह कर किया था कि “यूट्यूबरों से पैसा माँगा जाना वसूली करने का काम नहीं है, बल्कि कानूनन ये तो ANI की संपत्ति का बचाव है।” (यहाँ पढ़ें)। वहीं भारत में यूट्यूब चैनलों पर अपनी थ्री-स्ट्राइक नीति और कॉपीराइट उल्लंघन के दावों को जाँचने-परखने की क्रियाविधि पर अपवादस्वरूप झटका खाए हुए यूट्यूब ने ये कहते हुए अपना पक्ष रखा था कि, कंटेंट पर मालिकाना हक का दावा करने वाले एवं इस मालिकाना हक का उल्लंघन करने वालों के बीच विवाद होने पर यूट्यूब जज नहीं बल्कि मध्यस्थ का काम करता है।

शुरुआत में हमारी पड़ताल का जवाब देते हुए यूट्यूब ने हमसे कहा था कि, कॉपीराइट के उल्लंघन का दावा होने पर वो फैसला सुनाने नहीं बैठ जाता है। यूट्यूब ने हमें लिखा कि, “कॉपीराइट के मालिकाना हक से संबंधित विवादों का निपटारा नहीं करने के साथ-साथ कंटेंट का निष्पक्ष रूप से प्रयोग किए जाने या किन्हीं अन्य उम्मीदों से जुड़े पैमानों पर, हम, कोई कानूनी निर्णय नहीं लेते है। उपयुक्त कानून का अनुपालन करते हुए, हमारा कार्य कॉपीराइट उल्लंघन होने के दावे पर कंटेंट हटाने के लिए दायर की गई नोटिसों को संसाधित करने का है।” (यहाँ पढ़ें)।

यूट्यूब के प्रतिउत्तर में दर्ज उसकी प्रतिक्रिया

अब अपनी पड़ताल में हमें पता चला है कि यूट्यूब की तरफ से कही गई ये बात, कि वो सिर्फ दायर की गई नोटिसों को संसाधित करने का काम करता है, वास्तव में उसकी खुद की कॉपीराइट उल्लंघन के दावों को जाँचने-परखने की अंदरूनी व्यवस्था पर पर्दा डालने का काम करती है। 

कॉपीराइट उल्लंघन के एक मामले में कंटेंट क्रिएटर के द्वारा ANI का प्रतिरोध किए जाने के बाद यूट्यूब ने बड़ी सक्रियता के साथ कॉपीराइट उल्लंघन के दावे पर गहनता पूर्वक विचार किया था, जिससे ANI से और जानकारी माँगने हेतु एक के बाद एक कई पत्रों को लिखे जाने का क्रम शुरू हुआ और इस प्रकार अन्ततः यूट्यूब ने यूट्यूबर को उसके विवादित कंटेंट को जस का तस बनाए रखने की अनुमति दे दी थी।

उपरोक्त लिखित मामले में यूट्यूब के द्वारा यूट्यूबर के पक्ष में फैसले लेने का आधार क्या था और बाद में कुछ अन्य वीडियोज़ पर विवाद खड़ा होने पर यूट्यूब अपने इस फैसले से पलट क्यों गया, इन दो बातों पर यूट्यूब ने प्रकाश नहीं डाला। 

हमनें अपनी पड़ताल में पाया कि, यूट्यूब अलग-अलग कंटेंट प्रोड्यूसरों से अलग-अलग तरीके से डील करता है। जहाँ कॉपीराइट उल्लंघन के विवाद में यूट्यूब कुछ कंटेंट प्रोड्यूसरों के वीडियोज़ को अपने प्लेटफॉर्म से हटा लेता है तो वहीं कुछ कंटेंट प्रोड्यूसरों के वीडियोज़ को यूट्यूब हाथ भी नहीं लगाता है। जो एक बात यूट्यूब की नीति में ऊपर से लेकर नीचे तक एक समान दिखाई देती है वो ये है कि, भारत के कॉपीराइट कानूनों में कंटेंट के फेयर-यूज संबंधी नियमों के तहत कौन सा कंटेंट सही है और कौन सा नहीं इसका निर्णय यूट्यूब कैसे लेता है, ये बात यूट्यूब क्रिएटर्स को नहीं बताता है। यूट्यूब की तरफ से ये बात क्रिएटर्स को न बताए जाने के कारण क्रिएटर्स को यूट्यूब के निर्णयों का भुक्तभोगी बनने के लिए छोड़ दिया जाता है, और बहुत बार तो क्रिएटर्स की नियति ANI के रहमोकरम पर आकर टिक जाती है। 

द कलेक्टिव के हालिया खुलासों के बाद इस बात पर गरमागरम बहस छिड़ गई है कि, कैसे स्वनिर्णय लेने की अपनी भारी-भरकम शक्ति के माध्यम से यूट्यूब लाखों क्रिएटर्स के काम पर अपना वर्चस्व बना कर रखता है। 

रमित का मामला 

रमित वर्मा यूट्यूब पर ऑफिसियल पीइंगह्यूमन और क्रूरदर्शन नाम के दो जाने-माने व्यंग करने वाले चैनलों को चलाते हैं। कॉपीराइट के उल्लंघन को लेकर जून 2024 में ANI ने रमित के 14 वीडियोज़ के खिलाफ यूट्यूब को नोटिस भेजना शुरू कर दिया था। 

इन नोटिसों के उत्तर में यूट्यूब ने ANI को लिखा कि, “हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि, नीचे दिए गए वीडियोज़ के द्वारा आपके कॉपीराइट का उल्लंघन होने की बात कहते हुए आपकी तरफ से भेजा गया नोटिस शायद वैध नहीं है। कृपया इस बात को ध्यान में रखे कि, बहुत से देशों में विभिन्न विशिष्ट कार्यों, विशेषकर रिपोर्टिंग, पैरोडी, कमेंट्री या रिव्यू जैसे रूपांतरण के कामों करने के लिए, कॉपीराइट प्राप्त चीजों का प्रयोग उसके मालिक की इजाजत के बिना कानूनन मान्य है।”

 यूट्यूब द्वारा ANI को लिखा गया पत्र 

ANI को दिए गए अपने इस उत्तर में यूट्यूब, भारत के कॉपीराइट कानून में कॉपीराइट प्राप्त वस्तु को ‘निष्पक्ष व्यवहार’ (फेयर डीलिंग) के नियम के अंतर्गत प्रयोग करने का संदर्भ दे रहा था। 

यूट्यूब ने ANI से माँग की कि वो अपने कॉपीराइट का उल्लंघन होने से जुड़ी और जानकारी उसके साथ साझा करे। 

कॉपीराइट उल्लंघन के विवादों में निर्णायक की भूमिका न निभाने की बात कहने वाले यूट्यूब ने अपनी बात के उलट जाते हुए उपरोक्त मामले में ANI से इस प्रकार के तमाम विवरणों को माँगा जिनसे वो इस बात की पुष्टि कर सके कि ANI जिन वीडियोज़ पर अपने कॉपीराइट का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहा है वो वीडियोज़ वास्तव में कॉपीराइट प्राप्त वस्तु के निष्पक्ष प्रयोग के कानून के तहत मान्य हैं कि नहीं। 

बाद में यूट्यूब के द्वारा ANI से पूछे गए प्रश्नों के जवाब में ANI से प्राप्त विस्तृत प्रतिक्रिया का अवलोकन करके इस प्रतिक्रिया को किनारे लगाते हुए यूट्यूब ने ANI से कहा कि, “हम अब भी इस बात पर ही टिके हुए है कि नीचे दिए गए वीडियोज़ को हटाए जाने का आपका अनुरोध वैध नहीं है। इसलिए इन वीडियोज़ को यूट्यूब पर जस का तस रखा जा रहा है।” 

यूट्यूब ने ANI के अनुरोध को किनारे लगा दिया 

यूट्यूब ने रमित को लिखा कि, “हमारा मानना है कि आपके कंटेंट को निष्पक्ष प्रयोग, निष्पक्ष व्यवहार या किसी ऐसी ही कॉपीराइट प्राप्त वस्तुओं के प्रयोग पर मिलने वाली छूट के अंतर्गत सुरक्षा मिली हुई है। आपको ये सूचित करके के लिए की इस बार आपके वीडियोज़ को हटाने की हमारी कोई योजना नहीं है, हम आपको ये पत्र लेख रहे है।” अपनी बात पर जोर देने के लिए यूट्यूब ने अपने अक्षरों को मोटा कर दिया था। 

यूट्यूब ने क्रिएटर को ये बताया था कि क्रिएटर के वीडियोज़ को हटाने की उसकी कोई योजना नहीं है 

इसके अतिरिक्त रमित के दो अन्य वीडियोज़ पर ANI से सहमति जताते हुए यूट्यूब ने इन दो वीडियोज़ पर पाबंदी लगा दी। इस पर रमित का यूट्यूब से पत्राचार हुआ जिसमे रमित ने तर्क दिया की ये दो वीडियोज़ भी निष्पक्ष व्यवहार के प्रावधान के अंतर्गत सुरक्षित हैं और ये दोनों ही वीडियोज़ कॉपीराइट के नियमों का उल्लंघन नहीं करते हैं। 

यूट्यूब ने ANI से पूछा की इस विवाद के संबंध में उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया था या नहीं। यूट्यूब के इस प्रश्न के जवाब में ANI ने कोई उत्तर नहीं दिया और यूट्यूब ने रमित के दो वीडियोज़ पर से भी पाबंदी हटा दी। 

रमित के वीडियोज़ पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जारी किए गए 14 नोटिसों में से किसी भी नोटिस को लेकर ANI अदालत में मुकदमा लड़ने नहीं गया। 

रमित का ये पूरा मामला दिखाता है कि कॉपीराइट उल्लंघन के विवादों में यूट्यूब निर्णायक की भूमिका निभाते हुए इस बात पर फैसला लेता है कि कॉपीराइट प्राप्त सामग्री के किस प्रयोग को इस सामग्री का निष्पक्ष प्रयोग कहा जाए और किसको नहीं। जब द कलेक्टिव ने यूट्यूब से अपने प्लेटफॉर्म पर फेयर यूज का निर्धारण करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले मानकों, परीक्षणों और मापदंडों को साझा करने को कहा तब यूट्यूब ने कलेक्टिव को कोई जवाब नहीं दिया। 

कॉपीराइट उल्लंघन के विवादों में यूट्यूब की नीति के खिलाफ बोलते हुए यूट्यूबरों ने कहा कि कैसे इस नीति में मौजूद अपरिभाषित क्षेत्र की वजह से उनके सिर पर लगातार तलवार झूलती रहती है। और कैसे इस अपरिभाषित क्षेत्र को ANI अपने फायदे के लिए प्रयोग कर लेता है। 

यूट्यूब की खिलाफत में उतरे इन यूट्यूबरों में सबसे मुखर आवाज मोहक मंगल की रही। 46 लाख सब्सक्राइबरों के साथ यूट्यूब पर मौजूद, मंगल, भारत में करंट अफेयर्स से संबंधित कंटेंट बनाने वाले यूट्यूबरों में एक सबसे बड़े यूट्यूबर का कद रखते हैं। 25 मई को ANI के संबोधन में उसकी एक रणनीति को “असाधारण” रणनीति करार देते हुए, मंगल ने 11 मिनट के एक वीडियो को यूट्यूब पर पोस्ट किया। 

मोहक ने कहा कि, “ये ANI का बिजनेस मॉडल है। चैनल पर स्ट्राइक करो, चैनल को डिलीट कराओ और असाधारण रणनीति का प्रयोग करते हुए साल भर के अपने सब्सक्रिप्शन प्लान को बेचो। ये देश की दशा हो रखी है।”

अपने वीडियो में मोहक ने दावा किया कि ANI की वीडियो क्लिपों, जिनमे से एक क्लिप मात्र 9 सेकेंड की थी, का प्रयोग करने के चलते ANI ने उनके चैनल पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दो स्ट्राइक कीं थीं। मोहक ने उन सभी स्क्रीनशॉटों और ईमेलों को दिखाया जो उनके अनुसार उन्हें ANI ने भेजे थे। मोहक ने कहा की चैनल से स्ट्राइक वापस लेने के लिए शुरू में ANI ने उनसे अपने कॉपीराइट उल्लंघन के हर्जाने के रूप में 48 लाख रुपए और अपने लाइसेंसीकृत विजुअल्स की फीस की माँग की थी। ऐसा न करने पर, मोहक ने बताया की, ANI ने उन्हें उनके चैनल पर और स्ट्राइकें कर के उसे बंद करवाने की धमकी दी थी। इसके अतिरिक्त कुछ आपसी बातचीत की रिकॉर्डिंगों को भी प्रस्तुत करते हुए मोहक ने कहा कि ये रिकॉर्डिंगें उस समय की हैं जब ANI के अधिकारी उनकी टीम के साथ मोल-तोल कर रहे थे।

मोहक ने अपने वीडियो में कहा कि, “सबसे पहले 20 मई को मेरे चैनल पर मुझे अपने कोलकाता रेप केस वाले वीडियो को लेकर कॉपीराइट स्ट्राइक मिली थी। मैंने ये वीडियो कई महीने पहले बनाया था। ये कॉपीराइट स्ट्राइक किसने भेजी थी? ANI ने। क्यों? क्योंकि मैंने अपने 16 मिनट के वीडियो में ANI की 11 सेकंड की फुटेज यूज की थी।”

जहाँ भारत के कॉपीराइट एक्ट का सेक्शन 52 कॉपीराइट प्राप्त वस्तुओं के फेयर यूज की आधारशिला रखते हुए आलोचना, कमेंट, न्यूज और रिपोर्टिंग के लिए कॉपीराइट प्राप्त वस्तुओं के प्रयोग की इजाजत देता है, वहीं ये सेक्शन इस बात पर कोई प्रकाश नहीं डालता है कि फेयर यूज के नियम के तहत एक यूट्यूबर सटीक तौर पर कॉपीराइट प्राप्त फुटेज के कितने बड़े भाग को अपने वीडियो में प्रयोग कर सकता है। 

मोहक ने कहा कि, द कलेक्टिव की रिपोर्ट से उन्हें पता चला कि जिन चुनौतियों से वो जूझ रहे हैं उन्हीं चुनौतियों का सामना अन्य यूट्यूबर्स भी कर रहे हैं। 

हम स्वतंत्र रूप से मोहक के दावों का सत्यापन नहीं कर सकते हैं। मोहक और उनके सहयोगियों ने हमसे बात करने से माना कर दिया। साथ में मोहक के द्वारा ANI के ऊपर लगाए गए आरोपों या उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों को लेकर, ANI से हमनें कुछ प्रश्न पूछे थे जिनका कोई जवाब नहीं दिया गया। ANI की एडिटर-इन-चीफ, स्मिता प्रकाश, ने 26 मई को “चोरी करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है। यूट्यूबरों को ANI की सामग्री की एवज में भुगतान करना क्यों जरूरी है” के शीर्षक से लिखे गए एक लेख को रीट्वीट किया था। 

दो दिन से कम समय में मोहक के वीडियो को 48 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है। और मोहक के वीडियो से प्रेरित होकर कई अन्य क्रिएटर्स ने अपने और ANI के साथ हुए मोल-तोल का खुलासा किया है। 

कम से कम 6 क्रिएटर्स—@peepoye, @OnlyNews 24×7, @samir_talks, @Thugesh, @DhaakadKhabarIN, और @rajatpawarr—ने मोहक के वीडियो के कमेंट सेक्शन में बोलते हुए इस बात का खुलासा किया है कि उनके चैनलों पर भी ANI ने कॉपीराइट स्ट्राइक कीं थीं। यूट्यूबरों ने कहा कि कुछ मामलों में तो ANI ने हर्जाने के तौर पर 18 लाख से ज्यादा रुपए माँगे थे। 

@rajatpawarr ने बाद में यूट्यूब पर एक वीडियो लगा कर कहा की ANI ने एक ऐसी वीडियो क्लिप के कॉपीराइट का उल्लंघन होने की बात कहते हुए स्ट्राइक कर दी थी जो क्लिप अनिवार्य रूप से ANI की है भी नहीं। @rajatpawarr ने दावा किया कि “कई क्लिपों में से एक वीडियो क्लिप तो शायद चैनल (ANI) की है भी नहीं, इस क्लिप में सिर्फ ANI का माइक दिख रहा है, लेकिन फिर भी इस क्लिप को यूज करने पर ANI ने स्ट्राइक कर दी।”

द कलेक्टिव क्रिएटर्स किए जा रहे दावों का स्वतंत्र रूप से सत्यापन नहीं कर सकता था, लेकिन हमनें ANI की प्रतिक्रिया जानने के लिए इस एजेंसी को विस्तृत रूप से प्रश्नों की एक सूची भेजी थी। 

जब बीती 19 मई को द कलेक्टिव ने इस स्टोरी को सबसे पहले प्रकाशित किया था तब कम से कम हमनें चार क्रिएटर्स से बात की थी। और इसके अतिरिक्त हमनें चार ऐसे अन्य क्रिएटर्स की पहचान भी की थी जो क्रिएटर्स, अपने चैनलों को बंद किए जाने की धमकी मिलने के बाद, या तो ANI से महँगे कॉपीराइट संबंधित समझौते कर चुके थे या फिर ये क्रिएटर्स ANI से ऐसे समझौते करने के रास्ते में थे। उस समय इन सभी यूट्यूबर्स ने अपनी पहचान को गुप्त रखना ही बेहतर समझा था। 

हमनें, ANI और यूट्यूब, दोनों को अपने सवालों की लिस्ट भेजने के बाद कोई उत्तर ना मिलने पर इन संस्थानों से दुबारा से सवाल पूछे थे। बार-बार याद दिलाने के बावजूद, इस स्टोरी के प्रकाशित होने तक, इन संस्थानों में से किसी भी संस्थान ने हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया। इन संस्थानों को हमारी ओर से भेजी गई सवालों की लिस्ट को आप इस स्टोरी के अंत में पढ़ सकते है। यदि ANI या यूट्यूब में से किसी ने भी हमारे सवालों का जवाब दिया तो पल-दर-पल प्रगति करती हुई इस स्टोरी को हम अपडेट करेंगे। 

प्रसिद्ध पत्रकार और यूट्यूबर रवीश कुमार ने हमसे कहा था कि, “किसी के रोजी-रोटी के साधनों और उसकी वर्षों की मेहनत को, महज तीन कॉपीराइटों के उल्लंघन के आधार पर, कैसे एक झटके में उजाड़ा जा सकता है?”

जहाँ इन सभी खुलासों के पहले और बाद में ANI प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ये संकेत देता रहा है कि वो अपने व्यापार करने के तरीकों के पक्ष में खड़ा हुआ है, वहीं यूट्यूब ने इस पूरे मसले पर अब तक चुप्पी साध रखी है।